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Causes Of Cancer : भारत में हर साल करीब 16 मिलियन नए कैंसर के मामले दर्ज किए जाते हैं। इस खतरनाक बीमारी के कारण लगभग 7,84,800 लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। भारत में पाए जाने वाले छह प्रमुख प्रकार के कैंसर में स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल हैं।
कैंसर क्या है ?
कैंसर (Cancer) एक गंभीर बीमारी है, जो तब होती है जब शरीर की कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा बढ़ने और अलग होने लगती हैं। हमारा शरीर कई लाखों-करोड़ों कोशिकाओं से बना होता है।, और सामान्यत: ये कोशिकाएं शरीर की जरूरत के अनुसार बढ़ती और फैलती हैं।
जब कोशिकाएं पुरानी या क्षतिग्रस्त होती हैं, तो वे मरकर नई कोशिकाओं द्वारा बदल दी जाती हैं। लेकिन कैंसर की स्थिति में, कोशिकाएं मरने के बजाय जीवित रहती हैं और बिना जरूरत के नई कोशिकाओं का निर्माण करने लगती हैं। इससे अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और ट्यूमर (Tumour) का रूप ले लेती हैं।
कैंसर आमतौर पर ट्यूमर के रूप में विकसित होता है, लेकिन ब्लड कैंसर (Blood Cancer) में ऐसा नहीं होता। सभी ट्यूमर्स कैंसर नहीं होते, लेकिन कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और आसपास के ऊतकों (Tissues) में फैल सकता है। असामान्य कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच सकती हैं और वहां नए घातक ट्यूमर बना सकती हैं।
कैंसर के कुछ प्रमुख प्रकारों में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer), ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer), स्किन कैंसर (Skin Cancer), लंग कैंसर (Lung Cancer), कोलोन कैंसर (Colon Cancer), प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) और लिंफोमा (Lymphoma) शामिल हैं। कैंसर के लक्षण और जांच के तरीके हर प्रकार के लिए अलग होते हैं। कैंसर का इलाज आमतौर पर कीमोथेरेपी (Chemotherapy), रेडिएशन (Radiation), और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है।
कैंसर के लक्षण
कैंसर के लक्षण एक दूसरे से अलग होते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि हर किसी को इसके संकेतों और लक्षणों के बारे में जानकारी हो। इससे व्यक्ति समय रहते इन लक्षणों को पहचान सकता है और इलाज शुरू किया जा सकता है। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
1. अचानक वजन का घटना
यदि बिना किसी स्पष्ट कारण के आपका वजन तेजी से कम होने लगे, तो यह कैंसर का एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है। खासकर अग्न्याशय, पेट या फेफड़ों के कैंसर में यह समस्या देखने को मिलती है, लेकिन अन्य प्रकार के कैंसर में भी वजन घट सकता है।
2. अत्यधिक थकावट
बार-बार थकान महसूस होना भी कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है। ल्यूकेमिया और कोलन कैंसर जैसी बीमारियों में थकान की समस्या अधिक होती है।
3. गांठ
अगर शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन नजर आए, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है। स्तन कैंसर, लिम्फ नोड्स, सॉफ्ट टिश्यू, और अंडकोष (Testicles) के कैंसर में आमतौर पर ऐसी गांठ देखने को मिलती है।
4. त्वचा में बदलाव
अगर आपकी त्वचा का रंग पीला, काला या लाल हो जाए, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है। साथ ही, शरीर के किसी हिस्से में मोल्स या मस्से का आकार और रंग बदल जाए, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ध्यान दें कि कोई भी घाव जल्दी ठीक न हो तो यह भी एक चेतावनी हो सकती है।
5. तेज दर्द
अचानक तेज दर्द, जैसे हड्डी या अंडकोष कैंसर (Bone or Testicular Cancer) का पहला संकेत हो सकता है। वहीं, पीठ दर्द कोलोरेक्टल (colorectal), अग्नाशय (pancreatic) या अंडकोष के कैंसर (ovarian cancer) का संकेत हो सकता है। अगर किसी को गंभीर सिरदर्द हो, तो यह ब्रेन ट्यूमर का भी संकेत हो सकता है।
6. बाउल मूवमेंट और ब्लैडर फंक्शन में बदलाव
अगर लंबे समय तक कब्ज, दस्त, या मल में खून आने जैसी समस्या हो, तो यह कोलोरेक्टल कैंसर का संकेत हो सकता है। वहीं, पेशाब करते समय दर्द या खून आना ब्लैडर कैंसर (bladder cancer) और प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer) के लक्षण हो सकते हैं।
7. लिम्फ नोड्स में सूजन
अगर तीन से चार सप्ताह तक ग्रंथियों में सूजन बनी रहती है, तो यह एक चिंता का कारण हो सकता है। लिम्फ नोड्स का आकार बढ़ना भी कैंसर के संकेत हो सकता है।
8. एनीमिया
एनीमिया में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जो हेमटोलॉजिकल कैंसर (blood-related cancers) का संकेत हो सकता है।
कैंसर के कारण
कैंसर के होने के पीछे कोई एक स्पष्ट कारण नहीं है। हालांकि, कुछ कारण हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। हमें अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए इन खतरनाक तत्वों (carcinogenic factors) से बचने की कोशिश करनी चाहिए। जबकि कुछ प्रकार के कैंसर अनुवांशिक कारणों से होते हैं और उन्हें रोका नहीं जा सकता, लेकिन जिन लोगों के परिवार में कैंसर का इतिहास है, उन्हें ज्यादा सावधान रहना चाहिए और नियमित जांच करानी चाहिए। इससे अगर कैंसर का पता जल्दी चले, तो इलाज भी समय पर शुरू हो सकता है। कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:-
तंबाकू चबाना या सिगरेट पीना
तंबाकू और सिगरेट में मौजूद निकोटीन से शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर हो सकता है। तंबाकू और धूम्रपान करने से खासकर मुंह का कैंसर (Mouth cancer), फेफड़ों का कैंसर (Lung cancer), पेट और आंतों का कैंसर (Alimentary tract cancer), और अग्न्याशय का कैंसर (Pancreatic cancer) होने का खतरा बढ़ जाता है।
गेन्स
अगर परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है, तो इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। कैंसर कभी-कभी दोषपूर्ण जीन के कारण भी होता है। उदाहरण के लिए, स्तन कैंसर (Breast Cancer) और वंशानुगत कोलोरेक्टल कैंसर (Hereditary Non Polyposis Colorectal Cancer) जैसे कैंसर परिवार में आगे चलकर किसीको भी हो सकता हैं।
पर्यावरण में कार्सिनोजेन्स
हम जो खाना खाते हैं, पीते हैं, या जो हवा में सांस लेते हैं, उनमें कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं, जो कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं। जैसे, एज्बेस्टस (Asbestos), बेंजीन (Benzene), आर्सेनिक (Arsenic), और निकल (Nickel) जैसे पदार्थ फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) और अन्य प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
फूड्स
आजकल फल और सब्जियाँ कीटनाशकों से दूषित हो सकती हैं, जिनके सेवन से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। दोबारा गर्म किया गया खाना, ज्यादा पका हुआ भोजन और तेल भी कार्सिनोजेनिक (Cancer-causing) हो सकता है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण से दूषित पानी, जिसमें भारी खनिज होते हैं, भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकते है।
वायरस
हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर का कारण बन सकते हैं, जबकि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) 99.9% मामलों में सर्वाइकल कैंसर का कारण होता है। इसके अलावा, रेडिएशन और सूरज की किरणों से संपर्क भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
कैंसर के स्टेज
ज्यादातर कैंसर में ट्यूमर होता है, और इन्हें पांच चरणों (Stages) में बांटा जाता है। ये चरण बताते हैं कि कैंसर कितनी गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है।
स्टेज 0 (Stage 0): इस स्टेज में कैंसर नहीं होता, लेकिन शरीर में कुछ असामान्य कोशिकाएं होती हैं, जो भविष्य में कैंसर में बदल सकती हैं।
पहला चरण (Stage I): इस स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है, और कैंसर कोशिकाएं सिर्फ एक ही जगह तक सीमित रहती हैं।
दूसरा और तीसरा चरण (Stage II और III): इन स्टेजों में ट्यूमर बढ़ जाता है और कैंसर कोशिकाएं पास के अंगों और लिम्फ नोड्स में फैलने लगती हैं।
चौथा चरण (Stage IV): यह कैंसर का सबसे खतरनाक और अंतिम चरण होता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है। इस अवस्था में कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक फैलने लगता है।
कैंसर का निदान
कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर शारीरिक लक्षणों और संकेतों को देखते हैं। इसके बाद, आपकी मेडिकल हिस्ट्री जांचने के बाद शारीरिक जांच की जाती है। कैंसर की जांच के लिए मूत्र, रक्त या मल के नमूने लिए जाते हैं। यदि कैंसर का संदेह होता है, तो डॉक्टर आपको एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और एंडोस्कोपी जैसी जांचें करवाने को कह सकते हैं।
इन सभी परीक्षणों से डॉक्टर ट्यूमर के आकार और स्थान का पता लगा सकते हैं। कैंसर होने या न होने का सही पता बायोप्सी से चलता है, जिसमें ऊतक के नमूने लिए जाते हैं। यदि बायोप्सी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो कैंसर के फैलाव को समझने के लिए और भी टेस्ट किए जाते हैं।
कैंसर का इलाज
डॉक्टर कैंसर के प्रकार, स्थान और अवस्था के आधार पर उपचार का तरीका तय करते हैं। सामान्य तौर पर, कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थैरेपी, हार्मोन थैरेपी, इम्यूनोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जैसी विधियां शामिल होती हैं।
सर्जरी (Surgery)
सर्जरी के जरिए डॉक्टर कैंसर से प्रभावित ट्यूमर, टिश्यू, लिम्फ नोड्स या किसी अन्य हिस्से को हटाने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी बीमारी की गंभीरता का पता लगाने के लिए भी सर्जरी की जाती है। अगर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला है, तो यह सबसे प्रभावी इलाज हो सकता है।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
कीमोथेरेपी में दवाओं का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है और कभी-कभी दर्दनाक हो सकती है। इसका एक सामान्य साइड इफेक्ट बालों का झड़ना है। दवाइयां मुंह से ली जा सकती हैं या इंजेक्शन के जरिए नसों में पहुंचाई जाती हैं।
रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
रेडिएशन थेरेपी में हाई-एनर्जी किरणों या कणों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह थैरेपी कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है। कुछ मामलों में इसे अकेले इस्तेमाल किया जाता है, जबकि अन्य में सर्जरी और कीमोथेरेपी के साथ मिलाकर किया जाता है।
इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
यह उपचार आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं से बेहतर तरीके से लड़ सके।
हार्मोन थेरेपी (Hormone therapy)
हार्मोन थेरेपी का उपयोग उन कैंसर के इलाज में होता है जो हार्मोन के प्रभाव से बढ़ते हैं, जैसे स्तन और प्रोस्टेट कैंसर। यह थैरेपी इन कैंसर के लक्षणों को कम करने और बीमारी को नियंत्रित करने में मदद करती है।